Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2024 · 2 min read

क्या फर्क पड़ेगा

हमारे जैसे कितने आये और कितने गये,
किसी को क्या फर्क पड़ेगा ।
इतिहास के पन्नों में बहुतेरे नाम दर्ज हैं,
एक नाम मेरा भी जुड़ जायेगा,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

अब मौत भुख से हो या गरीबी से,
कोई तड़पता है, तो तड़पने दो ।
किस – किस का ख्याल रखें हम,
जो मर रहे हैं, उन्हें मरने दो ।।

इतने सारे तो मर चुके हैं,
कुछ और मर जायेंगे,
तो उन्हें क्या फर्क पड़ेगा ।।

जाति-धर्म-मजहब, उनके लिए,
कुछ नहीं है एक समान ।
अंधकार में रखकर इनको,
सबको करना है परेशान ।।

इतना जहर घोल दो इनमें,
जल्द चले जायें, शमशान ।
आपस में लड़ – झगड़कर ये,
एक – दूजे की, ले – लेवें जान ।।

आजादी तो मिल चुकी है,
जो करना है करो ।
अच्छा-बुरा न सोचना है,
तो जी भरकर खूब लड़ो ।

इतने तो लड़कर मर चुके हैं,
कुछ और मर जायेंगे,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

पहले हँसता है,बाद में रोता है,
ज्लदबाजी ठीक नहीं होता है।

कुछ अच्छा करने के लिये,
जो करना है वो करो,
इतना देर तो कर चुके हो,
थोड़ा और देर हो जाएगा,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

जिसे अच्छे बुरे की समझ नहीं,
वो कोई काम क्या करेगा ।
जिसके माथे पर बोझ पड़ा हो,
वो आराम क्या करेगा ।।

जो कुछ कर दिखाने की है चाहत,
तो करो,
सोच मत कुछ और ।
कहने वाले हैं यहाँ सब,
कर दिखाने वाले हैं कहाँ ।।

आलोचनाएँ तो उनकी भी होती है,
जो हो चुके हैं सफल ।
एक तुम्हारी भी हो जाएँगी,
तो क्या फर्क पड़ेगा ।।

लेखक : – मन मोहन कृष्ण
तारीख : – 22/04/2020
समय – 08 : 30 ( रात्रि )

Language: Hindi
204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कवि भूषण
कवि भूषण
Indu Singh
सम्वेदना
सम्वेदना
Rambali Mishra
ग़ज़ल...01
ग़ज़ल...01
आर.एस. 'प्रीतम'
झुकती  हैं  अदब  से  तेरे  सामने आके
झुकती हैं अदब से तेरे सामने आके
Dr fauzia Naseem shad
रोटी की अहमियत
रोटी की अहमियत
Sudhir srivastava
कुछ असली कुछ नकली
कुछ असली कुछ नकली
Sanjay ' शून्य'
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
Rajesh Tiwari
ଆତ୍ମବିଶ୍ୱାସ ସହ ବଞ୍ଚନ୍ତୁ
ଆତ୍ମବିଶ୍ୱାସ ସହ ବଞ୍ଚନ୍ତୁ
Otteri Selvakumar
" पहचान "
Dr. Kishan tandon kranti
तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी
तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी
gurudeenverma198
🚩एकांत महान
🚩एकांत महान
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
मैं अपने बारे में क्या सोचता हूँ ये मायने नहीं रखता,मायने ये
मैं अपने बारे में क्या सोचता हूँ ये मायने नहीं रखता,मायने ये
Piyush Goel
विपदा
विपदा
D.N. Jha
गॉधी शरणम् गच्छामि
गॉधी शरणम् गच्छामि
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बच्चों से-
बच्चों से-
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
सामाजिक संस्कारों का पतन:
सामाजिक संस्कारों का पतन:
जगदीश शर्मा सहज
विरह की वेदना
विरह की वेदना
surenderpal vaidya
दानवी शक्तियों को सुधारा नहीं जाता था
दानवी शक्तियों को सुधारा नहीं जाता था
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
*शुभारंभ त्यौहार, गीत सबने मिल गाए (कुंडलिया)*
*शुभारंभ त्यौहार, गीत सबने मिल गाए (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कोशी कमला के बाढ़।
कोशी कमला के बाढ़।
Acharya Rama Nand Mandal
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
Neelofar Khan
मेरे श्याम तुमको भी आना पड़ेगा
मेरे श्याम तुमको भी आना पड़ेगा
कृष्णकांत गुर्जर
..
..
*प्रणय प्रभात*
कटी गर्दन तलवार के तेज धार से अनुराग के हत्यारे को फांसी दो फांसी दो।
कटी गर्दन तलवार के तेज धार से अनुराग के हत्यारे को फांसी दो फांसी दो।
Rj Anand Prajapati
फ़रेब
फ़रेब
Sakhi
ज़ख्म
ज़ख्म
Meera Thakur
तुम काफ़ी हो
तुम काफ़ी हो
Rekha khichi
Thoughts are not
Thoughts are not
DrLakshman Jha Parimal
"सुकून के खून से लहूलुहान हैं ख्वाहिशें ll
पूर्वार्थ
Loading...