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21 Jul 2024 · 1 min read

*बादल छाये नभ में काले*

बादल छाये नभ में काले
*********************

बादल छाये नभ में काले,
बरसे बदली छम छम द्वारे।

काली काया जल-धर सुंदर,
शोभित नभ में लगते प्यारे।

टप-टप बरसी शीतल बूँदें,
प्यासी धरती वारे न्यारे।

अंबर भू मिलने को आतुर,
शोभन – श्यामा सी भू हारे।

दिन मे रजनी छाया अंधेरा,
सूरज को ढकते छुपते तारें।

ठंठक दे समीर का झोंका,
गरमी से राहत ठरती रातें।

भरती नदियाँ बहते झरने,
नभ-चर हर्ष से नाचें गायें।

मनसीरत मेघों की गर्जन,
हर्षित सब जन झूमें सारे।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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