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21 Jul 2024 · 1 min read

*कल की तस्वीर है*

कल की तस्वीर है

हथेली में नहीं, मुट्ठी में तकदीर है,आज के संघर्ष में कल की तस्वीर है।

सोये में सपने नहीं संवरते ऐ नादान,जो कटुता सहे उसे मिलता खीर है।

उठो मेहनत करो वो आलस के मारों,क्यों कैरियर वास्ते हो नहीं गंभीर है।

आसरा लेते हैं जो बेवजह बहानों का,दोस्त भविष्य में होते वही फकीर है।

चमत्कार छोड़, मेहनत को मित्र बना,मिलेगी मंजिल होता क्यों तू अधीर है।

स्वतंत्र कीजिए मन पहले कुविचार से,तोड़ो जो आपको बांधे रखा जंजीर है।

प्रयत्न कभी व्यर्थ नहीं जाता ‘मधुकर’,मन हारा क्यों थका सा तेरा शरीर है।

महेतरु मधुकर, पचपेड़ी मस्तूरी बिलासपुर छत्तीसगढ़

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