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19 Jul 2024 · 1 min read

#मूल_दोहा-

#मूल_दोहा-
“खैर, खून, खांसी, खुशी, बैर, प्रीत, मद्यपान।
रहिमन दाबे ना दबे जानत सकल जहान।।”
(कविव रहीम)
इस दोहे पर देश काल, वातावरण व बदलाव के दृष्टिकोण से उपजा विचार नीचे पढ़िए।

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