Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2024 · 1 min read

लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !

लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
मार लंगड़ी और को, गिरा रहे हैं लोग।।

अर्थ बनाने में लगे, जिएँ अर्थ के अर्थ।
जीवन-अर्थ न जानते, जीना उनका व्यर्थ।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

Language: Hindi
1 Like · 147 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all

You may also like these posts

हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
Dr.Archannaa Mishraa
रुसवाई न हो तुम्हारी, नाम नहीं है हमारा
रुसवाई न हो तुम्हारी, नाम नहीं है हमारा
Shreedhar
गांव गलियां मुस्कुराएं,
गांव गलियां मुस्कुराएं,
TAMANNA BILASPURI
वंदे मातरम
वंदे मातरम
Deepesh Dwivedi
आँखें कुछ ख़फ़ा सी हो गयी हैं,,,!
आँखें कुछ ख़फ़ा सी हो गयी हैं,,,!
पंकज परिंदा
सागर ने जब जब हैं  हद तोड़ी,
सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
अश्विनी (विप्र)
काजल
काजल
Rambali Mishra
कविता-निज दर्शन
कविता-निज दर्शन
Nitesh Shah
खालीपन
खालीपन
करन ''केसरा''
वक्त ने जो दिए हैं मौके, कद्र कर लो,
वक्त ने जो दिए हैं मौके, कद्र कर लो,
पूर्वार्थ
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
पराया तो पराया ही होता है,
पराया तो पराया ही होता है,
Ajit Kumar "Karn"
ना जाने यूं इश्क़ में एक ही शौक़ पलता है,
ना जाने यूं इश्क़ में एक ही शौक़ पलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शुभ धाम हूॅं।
शुभ धाम हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
वक्त लगता है
वक्त लगता है
Vandna Thakur
सकारात्मकता
सकारात्मकता
Sangeeta Beniwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
" सफलता "
Dr. Kishan tandon kranti
स्वतंत्र सही लेकिन
स्वतंत्र सही लेकिन
Dr fauzia Naseem shad
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
न जाने किसकी कमी है
न जाने किसकी कमी है
Sumangal Singh Sikarwar
।।
।।
*प्रणय प्रभात*
शिक्षक दिवस पर दोहे रमेश के
शिक्षक दिवस पर दोहे रमेश के
RAMESH SHARMA
तुझसे ही में हु, मुझमें ही तू जीवन प्यार का सफर कमाल का।
तुझसे ही में हु, मुझमें ही तू जीवन प्यार का सफर कमाल का।
Satyaveer vaishnav
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
देव प्रबोधिनी एकादशी
देव प्रबोधिनी एकादशी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*
*" पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म"*
Shashi kala vyas
उदास धड़कन
उदास धड़कन
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
कैसे समझाओगे उन्हें _
कैसे समझाओगे उन्हें _
Rajesh vyas
वक्त
वक्त
DrAmit Sharma 'Snehi'
Loading...