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17 Jul 2024 · 1 min read

झूठों की मंडी लगी, झूठ बिके दिन-रात।

झूठों की मंडी लगी, झूठ बिके दिन-रात।
झूठे मुँह से हो रहीं, झूठी-झूठी बात।।

✍️अरविन्द त्रिवेदी

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