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17 Jul 2024 · 1 min read

डमरू घनाक्षरी

डमरू घनाक्षरी

मचलत दमकत नयन चपल सम
पग धर नभ पर चलत सनन सन
बरस बरस पर अगम सजन घर
दरस पड़त जब बहकत चट मन ।

सतत बजत करधन छन छन छन
वलय कहत कर खनन खनन खन
धव तज भटकन नगर डगर अब
जलज नयन तट बस बन दरपन

अन्नपूर्णा गुप्ता ‘ सरगम ‘
🖋️©️®️ 16/07/2024

186 Views
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