ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
अंधभक्तों से थोड़ा बहुत तो सहानुभूति रखिए!
अपनी आँखें ज़रा सा छिपा कर के देखो,
*अध्यात्म ज्योति* : वर्ष 53 अंक 1, जनवरी-जून 2020
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
सनम की शिकारी नजरें...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
क्या चरित्र क्या चेहरा देखें क्या बतलाएं चाल?
अपने ख्वाबों से जो जंग हुई
भजन -आया श्याम बुलावा- अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
एक मेरे सिवा तुम सबका ज़िक्र करती हो,मुझे
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*