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13 Jul 2024 · 1 min read

नई प्रजाति के गिरगिट

विकास के साथ उत्पन्न हुई है
गिरगिटों की एक नई प्रजाति
जिनका ध्येय वाक्य है
‘रंग बदलो पाओ ख्याति’
कुछ दिनों पहले
जो लाल झण्डा लगाए साइकिल से
गली-गली फिर रहे थे
आज, हरा फिर केसरिया होते हुए
नीले रंग की विदेशी कार में घूम रहे हैं
हर महीने आकाश को चूम रहे हैं
सरकार किसी की रहे
इनकी हमेशा चलती है
जहाँ किसी की दाल न गले
वहाँ इनकी दाल गलती है
लँगोटिया यारों को जानी दुश्मन बना देना
इनके बाएँ हाथ का खेल है
जेल हमारे और आपके लिए हो सकती है
इनका तो जन्मसिद्ध अधिकार बेल है
मारपीट, दंगा-फसाद इनकी रोजी-रोटी है
मौके की नजाकत देखते हुए
इनके कहीं दाढ़ी तो कहीं चोटी है
हम और आप भले ही समझें कि ये हमारे हैं
पर, ये किसी के नहीं हैं
कल कहीं थे आज कहीं हैं
राष्ट्रप्रेम से इन्हें क्या लेना-देना
इनकी दुनिया तो बस खुद तक ही सीमित है
इनकी ज़िन्दगी
बिना बीमा के ही बीमित है
इनके द्वारा
मातृभूमि की हो रही दुर्दशा पर रोता हूँ
‘असीम’ विचारों में खोया सोचता हूँ
बदलते हुए समय के साथ
अपनी आस्था बदलने वाले बहुरूपिए
सामाजिक सौहार्द्र को
दीमक की तरह चाट जाने वाले
मुट्ठी भर (नपुंसक) लोग
क्या यही हैं हमारे भाग्यविधाता?
नहीं, कदापि नहीं
आने वाला समय हिसाब माँगेगा इनसे
एक-एक छल का
एक-एक पल का।
✍🏻 शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Hindi
1 Like · 126 Views
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