— बेटे की ख़ुशी ही क्यूं —??
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
तालाब समंदर हो रहा है....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बचपन और बुढ़ापे का सच हैं
ग़ज़ल __न दिल को राहत मिली कहीं से ,हुई निराशा भी खूब यारों,
हम राज़ अपने हर किसी को खोलते नहीं
जो भी आया प्रेम से,इनमे गया समाय ।
मैं पत्नी हूँ,पर पति का प्यार नहीं।
ये गुज़रे हुए पल जिसे वक़्त कहते हैं,
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
सस्ते नशे सी चढ़ी थी तेरी खुमारी।
నమో నమో నారసింహ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
अपनी सरहदें जानते है आसमां और जमीन...!
गीत- मिले हैं चार दिन जीवन के...
*दुश्मन हिंदुस्तान के, घोर अराजक लोग (कुंडलिया)*