छोटो सो मेरो बाल गोपाल...
*वो है खफ़ा मेरी किसी बात पर*
मुझे उन दिनों की बेफिक्री याद है कि किसी तोप
*धक्का-मुक्की हो रही, संसद का यों चित्र (कुंडलिया)*
अभिनन्दन
विधानन्द सिंह'' श्रीहर्ष''
अपने कॉलेज के वार्षिक समारोह के दिन छेत्र के बी डी सी सुरेश
यदि कोई आपको हमेशा डांटता है,तो इसका स्पष्ट रूप से अर्थ यही
नरसंहार से आज की तारीख़ तक के दिन गिन लीजिए। आपको "नौ दिन च
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
मेरे दिल की जुबां मेरी कलम से
आदतें चली जाती हैं.. इश्क़ नहीं
"क्यूं किसी को कोई सपोर्ट करेगा"
آپ سب سے پیار کرتے ہیں، سب خدا کے بندے ہیں! نفرت کے بیج مت ب
दिल का बाजार लगा है यहां,