Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2024 · 1 min read

जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी

जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
तेरी अर्चना कर तुझमें प्राण प्रतिष्ठा की
किन्तु नहीं समझ पाई थी अब तक
तेरी मूर्ति गढ़ना, फिर अर्चना
फिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद विसर्जन
के पीछे का तात्पर्य ।
पर आज समझ आ रहा है
भाव इस अर्चन विधि का।
जब भी तुझे पाने की ललक जाग उठे,
तो तेरे ही जगत के तत्वों से
तुझे मनचाहा रूप देकर
तेरी उपासना, अर्चना करते हुए
तुझमें ही एक लय होकर
अपने ही प्राणों की प्रतिष्ठा
कर देनी है तुझमें ।
नर नारायण की प्रतिष्ठा ।
किन्तु इस छवि में भी बंधे नहीं रहना
विसर्जित कर देनी है वो
स्व प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति
पूर्ण समर्पण के साथ
उसकी सत्ता में ही विलय हो जाना है ।

163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Saraswati Bajpai
View all

You may also like these posts

चलो मान लिया इस चँचल मन में,
चलो मान लिया इस चँचल मन में,
पूर्वार्थ
ज़ेहन से
ज़ेहन से
हिमांशु Kulshrestha
#जीवन_दर्शन
#जीवन_दर्शन
*प्रणय*
भीड़ में रहते है मगर
भीड़ में रहते है मगर
Chitra Bisht
सब तुम्हारा है
सब तुम्हारा है
sheema anmol
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -192 वीं शब्द - टिक्कड़
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -192 वीं शब्द - टिक्कड़
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
श्री राम !
श्री राम !
Mahesh Jain 'Jyoti'
*सज्जन (अमृतध्वनि छंद )*
*सज्जन (अमृतध्वनि छंद )*
Rambali Mishra
नित्यता सत्य की
नित्यता सत्य की
Dr MusafiR BaithA
भोले
भोले
manjula chauhan
मनोव्यथा
मनोव्यथा
मनोज कर्ण
मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)
मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)
Ravi Prakash
देश से दौलत व शोहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शोहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
जीवन पथ
जीवन पथ
Dr. Rajeev Jain
4746.*पूर्णिका*
4746.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लालसा
लालसा
Durgesh Bhatt
बस यूं बहक जाते हैं तुझे हर-सम्त देखकर,
बस यूं बहक जाते हैं तुझे हर-सम्त देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संवेदना मनुष्यता की जान है।
संवेदना मनुष्यता की जान है।
Krishna Manshi
J88 Okvip
J88 Okvip
J88 Okvip
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
Rj Anand Prajapati
अपना वतन
अपना वतन
Sudhir srivastava
शब्दों की आवाज
शब्दों की आवाज
Vivek Pandey
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं
Kaushal Kishor Bhatt
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
आदि भाल पर  अंत  की, कथा  लिखी  बेअंत ।
आदि भाल पर अंत की, कथा लिखी बेअंत ।
sushil sarna
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
वक़्त के वो निशाँ है
वक़्त के वो निशाँ है
Atul "Krishn"
टूटने का मर्म
टूटने का मर्म
Surinder blackpen
मूर्दों का देश
मूर्दों का देश
Shekhar Chandra Mitra
*फिर तेरी याद आई दिल रोया है मेरा*
*फिर तेरी याद आई दिल रोया है मेरा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...