वीरता रो बखांण
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कहते हैं पानी की भी याद होती है,
पीता नहीं मगर मुझे आदत अजीब है,
मां रिश्तों में सबसे जुदा सी होती है।
*लटका कर झोला कंधे पर, घूम रहे हैं मेले में (गीत)*
AGRICULTURE COACHING CHANDIGARH
कस्तूरी (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
जगती के व्यासंग
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,