श्रीराम स्तुति-वंदन
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
ग़ज़ल — "दर्द की सौगात"
Author NR Omprakash Athak
शायद वह तुम हो जिससे------------
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
तुम खुशी देखते हों, मैं ग़म देखता हूं
जब लोग आपके विरुद्ध अधिक बोलने के साथ आपकी आलोचना भी करने लग
Discipline is the ability to choose what you want most over
कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..!!
*कड़वे भोजन को खाकर भी, जो निज मुस्कान न खोएगा (राधेश्यामी छ