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9 Jul 2024 · 1 min read

तन्हाई

तन्हाई

तन्हा कब थी मैं, साथ तन्हाई तो थी।
खामोशी कब थी,रोती शहनाई तो थी।

डूबने ही नही दिया साँसों के बोझ ने,
समुद्र में भी वर्ना, ऐसी गहराई तो थी।

जीने के लिये क्यू ,सहारा ढूंढते हैं हम
ग़म थे,यादें थी ,तेरी बेवफाई तो थी।

सोचती हूं कहां भूल आई हूं तुम को
कुछ बातें खुद से , मैंने छिपाई तो थी।

उठते देखा था, जब जनाजा वफा का
खुशक आँखे मेरी ,डबडबाई तो थी।

एक तेरे न आने से ,रुक गई थी साँसे
इंतजार मे तेरे, पलकें बिछाई तो थी।

एक खिजां का मौसम ठहर सा गया है
जिंदगी मे कभी यूं,बहार आई तो थी।
Surinder kaur

Language: Hindi
2 Likes · 180 Views
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