Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jul 2024 · 1 min read

आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।

मुक्तक

आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
ईश्वर जैसे लगते हैं प्यारे बाबा।
हत्या लूट खसोट यौन शोषण करते,
जेलों में फिर आजीवन सड़ते बाबा।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
132 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all

You may also like these posts

प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
चंद्रयान ३
चंद्रयान ३
प्रदीप कुमार गुप्ता
परोपकार!
परोपकार!
Acharya Rama Nand Mandal
काश
काश
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
***हालात नीति***
***हालात नीति***
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
#सूर्य जैसा तेज तेरा
#सूर्य जैसा तेज तेरा
Radheshyam Khatik
जो दुआएं
जो दुआएं
Dr fauzia Naseem shad
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
Dr Archana Gupta
बतावा का करबा तिरशूल
बतावा का करबा तिरशूल
Dhirendra Panchal
अपनापन
अपनापन
डॉक्टर रागिनी
लोग जब सत्य के मार्ग पर ही चलते,
लोग जब सत्य के मार्ग पर ही चलते,
Ajit Kumar "Karn"
वो हक़ीक़त में मौहब्बत का हुनर रखते हैं।
वो हक़ीक़त में मौहब्बत का हुनर रखते हैं।
Phool gufran
ख्वाब रूठे हैं मगर हौसले अभी जिंदा है हम तो वो शख्स हैं जिसस
ख्वाब रूठे हैं मगर हौसले अभी जिंदा है हम तो वो शख्स हैं जिसस
ललकार भारद्वाज
“सब्र”
“सब्र”
Sapna Arora
ऋतुओं का राजा आया
ऋतुओं का राजा आया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"इशारा "
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा भी जिक्र कर दो न
मेरा भी जिक्र कर दो न
Kanchan verma
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं।
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं।
Manisha Manjari
बेफ़िक्री का दौर
बेफ़िक्री का दौर
करन ''केसरा''
"बेशक़ मिले न दमड़ी।
*प्रणय प्रभात*
इम्तिहान
इम्तिहान
Mukund Patil
Remembering Gandhi
Remembering Gandhi
Chitra Bisht
जीवन की सुरुआत और जीवन का अंत
जीवन की सुरुआत और जीवन का अंत
Rituraj shivem verma
कल रात
कल रात
हिमांशु Kulshrestha
Education
Education
Mangilal 713
परिंदे बिन पर के (ग़ज़ल)
परिंदे बिन पर के (ग़ज़ल)
Vijay kumar Pandey
*वैराग्य के आठ दोहे*
*वैराग्य के आठ दोहे*
Ravi Prakash
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4690.*पूर्णिका*
4690.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...