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7 Jul 2024 · 1 min read

ज़मींदार

मेरे प्यारे गाँव में
पीपल की छाँव में
पक्का मकान है
गाँव भर की शान है
चारों तरफ झोंपड़े हैं
रात में जो सो पड़े हैं
मकान फिर भी जागता रहता है
क्योंकि उसमें ज़मींदार रहता है
वह रात में लोगों की तकदीर बदलता है
किसी का घर किसी की ज़मीन बदलता है
लोग फिर भी खुश हैं
क्योंकि
ज़मींदार देखने में दयालु है
बड़ा ही कृपालु है
वह दूसरे ज़मींदारों की तरह
किसी को कोड़े नहीं लगाता
किसी का घर नहीं जलाता
सिर्फ धन की चोरी करता है
सम्पत्ति की हेरा-फेरी करता है
लोग बहुत खुश हैं कि
ज़मीदार बड़ी मेहरबानी करता है
दूध का दूध और पानी का पानी करता है।
✍️ शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Hindi
1 Like · 122 Views
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