तेरे होने से ही तो घर, घर है
हल्की बातों से आँखों का भर जाना
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
है कई अनमोल रत्न, माता तेरी गोद में
साध्वी प्रमुखा-कनकप्रभा जी
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
देख लूँ गौर से अपना ये शहर
उजाले अपनी आंखों में इस क़दर महफूज़ रखना,
बहुत कुछ गँवाते , लगातार चलते !