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6 Jul 2024 · 1 min read

तुम समझ पाओगे कभी

**तुम समझ पाओगे कभी**

तुमने कभी सोचा है,
कि तुम्हारे आने और बिना मिले चले जाने से
मेरे दिल पर क्या बीतती है,
क्या तुमने कभी वो दर्द महसूस किया है
जो तुम्हारी बे-रुख़ी से मेरे दिल में उतरता है?
तुम्हारी अदाओं में बे-नियाज़ी का अंदाज़ा है
जिससे मेरी रूह में सन्नाटा छा जाता है।

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

मेरे दिलो-दिमाग में जज़्बात का सैलाब उठता है
और तुम कठपुतली बन, कुटिल मुस्कान संग
मेरे एहसास को रौंद रही होती हो।
कहीं तुम बे-मुरव्वत तो नहीं,
कोई टूटकर तुम्हें चाह रहा है
और तुम दूर से बुत की तरह निहार रही हो।

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

कैसे करोगी तुम उस पीड़ा की अनुभूति
जिसे कभी तुमने सहा ही नहीं, भोगा ही नहीं
या कहूँ जिसे मैंने कभी सहने ही नहीं दिया है?
तुम जब भी भँवरों से घिरी, तुम्हारा रहबर बना,
जब-जब मुझे तुम्हारे नैन बेचैन दिखे
अपनी पलकें बिछाने में तनिक भी देर न की।
सुन, बस तेरे आग़ोश की ही तो चाहत थी,
लेकिन तेरे कूचे में तो राह-ज़नी हो गई।

© नवीन रचना सर्वाधिक सुरक्षित

Language: Hindi
212 Views
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