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6 Jul 2024 · 1 min read

*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।

*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
और मीठा बनने का गजब हुनर उसे आता है ।
मैं कोशिश उससे दूर रहने की करता हूँ ।
कमजर्फ़ जान बूझ कर पास आता है ।
उसने कीमत लगाई मेरी दो कौड़ी की।
मुझे वो खुद पूरा कंगाल नजर आता है ।*

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