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5 Jul 2024 · 1 min read

दोहा सप्तक : इच्छा ,कामना, चाह आदि

दोहा सप्तक : इच्छा ,कामना, चाह आदि

मानव मन संसार में, इच्छाओं का दास ।
ओर -ओर की चाह में, निस-दिन बढ़ती प्यास ।1।

इच्छा हो जो बलवती, सध जाता हर काम ।
चर्चा उसके नाम की, गूँजे आठों याम ।2।

व्यवधानों की लक्ष्य में, जो करते परवाह ।
क्षीण लगे उद्देश्य में, उनके मन की चाह ।3।

अन्तर्मन की कामना, छूने की आकाश ।
सम्भव है यह भी अगर, होवें नहीं हताश ।4।

परिलक्षित संसार में, होता वो परिणाम ।
इच्छा के अनुरूप जब, हासिल करें मुकाम ।5।

कैसे होगा लक्ष्य का, सफल भला संधान ।
इच्छा हो कमजोर तो, निष्फल तीर कमान ।6।

सम्भव कब संसार में, इच्छाओं का त्याग ।
विचलित करती कामना, भड़के मन में आग।7।

सुशील सरना / 5-7-24

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