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3 Jul 2024 · 1 min read

मैं भारत की बेटी...

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

कुछ इस तरह से,
बचपन निहारती हूं मैं
फटेहाल सी जिन्दगी,
जीने को विवश हूं मैं,
अपना तो रोज का,
काम है आना जाना,
दूर तलक से,
पीने को पानी लाना,
शीशें में देख कर,
इठराना और मुस्कुराना,
शीशे के अंदर से,
मुस्कुरातें चेहरों को देख,
भारत कितना सुन्दर है,
यह कल्पना कर जाना ?
कुछ इस तरह से,
बचपन निहारती हूं मैं ?

तस्वीर देश की धर्म नगरी काशी का वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन का है जो 09 वर्ष पुराना है ।

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