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2 Jul 2024 · 1 min read

वर्ण पिरामिड

वर्ण पिरामिड

हो
कर
प्रतिज्ञ
चलना है
बढ़ते चल
रुको कहीं मत
मंज़िल को पाना हैं।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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