Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2024 · 2 min read

भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.

मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ, बचपन गाँव में ही बीता,अपने भाई बहनों के साथ,शिक्षा भी गाँव में ही हुई.बचपन में किसी ने भी गाइड नहीं किया जो भी पढ़ाई की,पापा की पोस्टिंग गाँव में ही रही,ज़िंदगी में गाँव का ज़्यादा प्रभाव रहा,पिता जी के साथ सबदलपुर,चौमुहाँ,बरोला आदि गाँव में रहा.मेरी ज़िंदगी के सबसे सुनहरे पल चौमुहाँ में बीते,यहाँ से १२वी पास करने के बाद,गांधी पॉलीटेक्निक मुज़फ़्फ़रनगर(१९८४-१९८७) से यांत्रिक अभियंता का डिप्लोमा किया, वैसे तो मैं पायलट बनना चाहता था,एनडीए की परीक्षा दी पास नहीं कर पाया,फिर सोचा प्रोफेसर बनूँगा उच्च शिक्षा नहीं ले पाया और नहीं बन पाया,अभियंता(डिप्लोमा)बन गया और बड़ी अजीब बात हैं पुस्तकें लिख रहा हूँ,सबसे पहली नौकरी प्याऊ मनिहारी कुंडली में ६०० रुपये की उसके बाद,८०० रुपये की पिलखुआ में ,उसके बाद १२०० रुपये की यामाहा सूरजपुर में अब २७ साल का अनुभव हैं.सन् २००० में ज़िंदगी बदल गई एक भयंकर दुर्घटना हो गईं, सड़क पर अपनी ज़िंदगी की भीख माँग रहा था कोई उठा कर अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं था.मैंने उठने की खूब कोशिश की पर नहीं उठ पाया,मेरी दो महीने की बेटी थी मुझे सबसे पहले मेरी बेटी याद आई,मैंने साँई बाबा से प्रार्थना की व माँ वैष्णों वाली माँ को याद किया,मुझे तब तक ज़िंदा कर दे जब तक मैं अपनी बेटी की शादी न कर दूँ, चमत्कार हो गया,अस्पताल पहुँच गया १० ऑपरेशन होने के बाद और ९ महीने खाट पर रहने के बाद मैंने दुबारा से जॉब जॉइन किया,सब कुछ सही चल रहा था सन् २००३ में नौकरी चली गईं और अवसाद में चला गया,यहाँ फिर एक चमत्कार हुआ, मेरे एक मित्र ने भगवद्गीता दी पढ़ने के लिए मैंने प्रसाद समझ कर लिया और ईश्वर के आशीर्वाद से १८ अध्याय ७०० श्लोकों को पढ़ा लिखा हिन्दी व इंगलिश दोनों भाषाओं में,अवसाद भी ख़त्म हो गया और नौकरी भी लग गईं.मैं सोनीपत चला गया यहाँ पर भगवद्गीता पर दैनिक जागरण में लेख छपा, छपते ही न्यूज़ चैनल्स ने इंटरव्यू लेने शुरू कर दिये,किसी ने पूछ लिया आपने भगवद्गीता को दर्पण छवि में लिख दिया पर इसको कौन पढ़ेगा?.मैं उन सज्जन से बोला वाल्मीकि जी ने मरा मरा बोला और राम राम निकला और संस्कृत भाषा में रामायण लिख दी मेरा आप सबको एक संदेश हैं सीधी नहीं उल्टी पढ़ लो मेरी ज़िंदगी बदली हैं आपकी भी बदलनी चाहिए,फिर उसके बाद सुई से पुस्तक लिखी.भगवद्गीता ने मंच दिया सुई से लिखी पुस्तक ने गूगल दे दिया और २००३ से २०२२ तक १७ पुस्तकें लिख चुका हूँ.दोस्तों हमारा काम हैं करना,कुछ चीजे उसके हाथ में हैं …. और उसके हाथ में रहनी भी चाहिये.

Language: Hindi
262 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अपरिभाषित
अपरिभाषित
Shaily
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
Monika Arora
ख्याल
ख्याल
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Shiftme
नजर
नजर
Rajesh Kumar Kaurav
ओम के दोहे
ओम के दोहे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रभु की लीला प्रभु जाने, या जाने करतार l
प्रभु की लीला प्रभु जाने, या जाने करतार l
Lodhi Shyamsingh Rajput "Tejpuriya"
ऑपरेशन सिंदूर सफल हुआ (6 मई रात 1.45 पर रचना)
ऑपरेशन सिंदूर सफल हुआ (6 मई रात 1.45 पर रचना)
रुपेश कुमार
"विद्युत बल्ब"
Dr. Kishan tandon kranti
*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्यानि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्यानि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस
ललकार भारद्वाज
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
DrLakshman Jha Parimal
मुहब्बत की पहली, ही सीढ़ी इनायत
मुहब्बत की पहली, ही सीढ़ी इनायत
Neelofar Khan
आस  रहती  है  सांस  चलने तक
आस रहती है सांस चलने तक
Dr fauzia Naseem shad
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
Shivam Sharma
धर्म-अधर्म (Dharma-Adharma)
धर्म-अधर्म (Dharma-Adharma)
Acharya Shilak Ram
कुंडलिया ....
कुंडलिया ....
sushil sarna
रात भी तन्हाई भरी काटना ऐ मेरे दोस्त,
रात भी तन्हाई भरी काटना ऐ मेरे दोस्त,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पितर पक्ष
पितर पक्ष
Ranjeet kumar patre
"तुम्हारी याद आई"
Lohit Tamta
खत लिखना
खत लिखना
surenderpal vaidya
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
Rj Anand Prajapati
पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
Piyush Goel
शूर
शूर
अवध किशोर 'अवधू'
हिन्दी हमारी शान
हिन्दी हमारी शान
Neha
फूल
फूल
Santosh Shrivastava
नजरिया
नजरिया
Mahender Singh
संघर्ष से अनुकूल इंसान, डरता जरूर है पर हारता नहीं है।
संघर्ष से अनुकूल इंसान, डरता जरूर है पर हारता नहीं है।
manjula chauhan
ध्येय बिन कोई मंज़िल को पाता नहीं
ध्येय बिन कोई मंज़िल को पाता नहीं
Dr Archana Gupta
इंसान को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है जो हमे पेड़ प
इंसान को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है जो हमे पेड़ प
Rj Anand Prajapati
Loading...