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1 Jul 2024 · 1 min read

मुक्ममल हो नहीं पाईं

मुकम्मल हो नहीं पाईं
अधूरी सी मुलाक़ातें,
बिना बरसात के बरसीं
मिरी आंखों से बरसातें।

डॉ फौज़िया नसीम शाद

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