वो कैसा दौर था,ये कैसा दौर है
शिवांश को जन्म दिवस की बधाई
तुम मुझे गुनगुनाओ तो सही, अपना कह कर प्यार जताओ तो सही साथ र
जिनको हमसे रहा है प्यार नहीं
मर्जी से अपनी हम कहाँ सफर करते है
इल्म की कमी अखलाक छुपा लेते हैं
"कर्म की भूमि पर जब मेहनत का हल चलता है ,