Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . . सावन

दोहा पंचक. . . . सावन

गौर वर्ण पर नाचती, सावन की बौछार ।
विटप ओट से प्रीत का, हो जाता अभिसार ।।

चंचल दृग नर्तन करें, बौछारों के संग ।
श्वेत वसन से झाँकते, उसके कोमल अंग ।।

गुन -गुन गाएँ धड़कनें, सावन में मल्हार ।
पलक झरोखों में दिखे, प्यारी सी मनुहार ।।

सावन में अक्सर करे , दिल मिलने की आस।
हर गर्जन पर मेघ की, यादें करती रास ।।

अन्तस में झंकृत हुए, सुप्त सभी स्वीकार।
तन पर सावन की करे, वृृष्टि मधुर शृंगार ।।

सुशील सरना / 30-6-23

116 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कपट नहीं कर सकता सच्चा मित्र
कपट नहीं कर सकता सच्चा मित्र
Acharya Shilak Ram
യാത്രാമൊഴി.
യാത്രാമൊഴി.
Heera S
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम ,   रहेंगे जुदा ना ,ना  बिछुड़ेंगे
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम , रहेंगे जुदा ना ,ना बिछुड़ेंगे
DrLakshman Jha Parimal
THE FLY (LIMERICK)
THE FLY (LIMERICK)
SURYA PRAKASH SHARMA
आदमी
आदमी
शशि कांत श्रीवास्तव
सोना बन..., रे आलू..!
सोना बन..., रे आलू..!
पंकज परिंदा
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आप मुझे महफूज
आप मुझे महफूज
RAMESH SHARMA
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
Dr Archana Gupta
पंक्तियाँ
पंक्तियाँ
प्रभाकर मिश्र
शादीशुदा🤵👇
शादीशुदा🤵👇
डॉ० रोहित कौशिक
48...Ramal musamman saalim ::
48...Ramal musamman saalim ::
sushil yadav
दोहा पंचक. . . . संसार
दोहा पंचक. . . . संसार
sushil sarna
कुछ सवालात
कुछ सवालात
Shyam Sundar Subramanian
सुबह सबेरे उठकर हरदम, जपो सदा हरिनाम।
सुबह सबेरे उठकर हरदम, जपो सदा हरिनाम।
संजय निराला
आप हाथो के लकीरों पर यकीन मत करना,
आप हाथो के लकीरों पर यकीन मत करना,
शेखर सिंह
मुझे भूल जाना
मुझे भूल जाना
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
मत भूल खुद को!
मत भूल खुद को!
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
*कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/ग
*कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/ग
Ravi Prakash
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
छोटी सी जिंदगी
छोटी सी जिंदगी
Surinder blackpen
आज़ पानी को तरसते हैं
आज़ पानी को तरसते हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
👍👍👍
👍👍👍
*प्रणय प्रभात*
आखिर क्यों मर्द बेचारे नहीं होते?
आखिर क्यों मर्द बेचारे नहीं होते?
Rekha khichi
सोरठौ
सोरठौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
कभी सोचा है सपने क्या होते हैं?
कभी सोचा है सपने क्या होते हैं?
पूर्वार्थ देव
जब चांदनी रातों मे
जब चांदनी रातों मे
कार्तिक नितिन शर्मा
"मतदाता"
Khajan Singh Nain
तू सरिता मै सागर हूँ
तू सरिता मै सागर हूँ
Satya Prakash Sharma
Loading...