Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 3 min read

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170*

*प्रदत्त शब्द- #छरक
दिनांक 29.6.2024*
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

प्राप्त प्रविष्ठियां :-

1
नँईं धरम से हो छरक,बिनतुआइ भगवान।
हम चरणन के दास रयँ,बनी रयै पैचान।।
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
2

करिया सबरी दाल है,कैसें हुइये ठीक।
छरके बैठे छात्र सब,पेपर हो गय लीक।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
3
छली गई छप्पन छुरी, छलिया बातन आय।
छरकी अब तौ प्रेम सैं,द्वार प्रभू कौ भाय।।
***
-प्रदीप खरे ‘मंजुल’, टीकमगढ़
4
हनुमत लंका बारकें, हरि खों हाल सुनायँ।
उतै राक्षस गये छरक, बंदर देख डरायँ।।
***
– डॉ. देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
5

दारू पी गर्रात हैं,फिरत रयें बेकार।
छरक पिड़े मन में इतै, देख पिया व्यौहार।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
6
छरक गये बँदरा सभी ,एक शेर जब आव ।
हिम्मत ना भइ काउ की,बँदरा चूके दाव ।।
***
-शोभाराम दाँगी इन्दु, नंदनवारा
7
भौत छरक गय व्याव सें, रो रो भर दव ताल।
कोउ न करियौ भूल कें, है जी कौ जंजाल।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी,निबाड़ी
8
छरक गांव के सब गये,जब से आई बारात।
बारे बूंढ़े देखकें,लरके सभी डरात।।
***
-मूरत सिंह यादव, दतिया
9
देख बिजूकौ खेत में , उजरा ढोर डराॅंय।
छरक जात गुथना लगैं, हरिया लौट न आँय।।
***
-आशाराम वर्मा “नादान” पृथ्वीपुर
10
झटका बिजली घांइॅं जब,डग -डग मानुष खात।
फिर बा पट्टी न‌इॅं चढ़त,छरक जनम खों जात।।
***
-भगवानसिंह लोधी “अनुरागी”,हटा
11
छरक गये बे आप सें , कै दइ सांसी बात।
दिन भर अब घर में रतइ , निकरत जब हो रात।।
***
– वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़

संयोजक- -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

#######@@@@@#####

अप्रतियोयी दोहे :-

[29/06, 12:55 PM] Rajeev Namdeo: बुंदेली दोहा- छरक (अरुचि, घृणा )

#राना राखौ तुम छरक ,लबरा जितै दिखाँय।
चुगलन जैसे काम कर ,सबरन खौं भरमाँय।।

#राना मोरी बात खौं ,तनिक समझियौ आप।
बिच्छू सैं लैतइ छरक, कौन लैत है चाप।।

उनसे भी हौतइ छरक, संगत गलत दिखाय।
#राना विष की बेल भी,सिर पै कौन चढ़ाय।।

#राना काँतक लै छरक, दुष्ट सामने आय।
वेश बदलकर सामने, बातन से भरमाय।।

छू लैतइ है गंदगी ,#राना लापरवाह।
चलैं छरक कर जौ यहाँ ,सुथरी ऊकी राह।।

एक हास्य दोहा

धना कात #राना सुनौ ,काय छरक रय आज।
घर कौ करो उसार तुम ,करौ न कौनउँ लाज।।
*** ©दिनांक-29.6.2024
✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
[29/06, 1:36 PM] Shobharam Dagi: अप्रतियोगी बुंदेली दोहा
प्रदत्त शब्द=छरक(अरूचि/घृणा)
(०१)
बँदरा चूके ड़ाल से ,छरक गये ई बार ।
कूँद न पाये ड़ाल पै, चूके दाव अपार ।।
(०२)
छरक गये परसाल सै,लग गव घाटौ भौत ।
सोच समझ कै काम खों,कन्नै भइया न्यौत ।।
(०३)
छरक बैठ गइ ऊ दिना,जिदनां भवतौ ब्याव ।
ऐसी का जानत हते ,”दाँगी” जौ रट्टियाव ।।
(०४)
जिम्मेवारी भौत है ,पूरी को कर पात ।
छरके बैठे काल के ,जूड़ी सौ चड़ आत ।।
(०५)
काम काज ऐसे करौ,सबकौ भलौ दिखाय ।
“दाँगी” छरक गये अभी,समरौ नहीं समाय ।।
(०६)
बिन पैदी के लोग जो ,करवैं ऊसइ काम ।
एक बेर सैं छरक नहीं ,”दाँगी” ख्वावै दाम ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[29/06, 1:55 PM] M.l.Ahirwar ‘tyagi’, Khargapur: 🌻शनिवार 29-6-2024🌻
समदन ने एसो करो, छरक बैठगइ मोय।
अब समदाने कोद मन,जाबे को ना होय।

दुनिया सें खाकें दगा,छरक बैठगइ मोय।
अपने मनके मीत सब,मिलो सगोना कोय।

साजन ऐगर गसतना,छरके छरके रात।
कान कौनने भरदए,मोय समझ ना आत।

आय चोर लैगय खको,ससरे माल तमाम।
बैठगए हम छरक के ,छोडो नही छिदाम।

नीतिश चाचा का नहीं, मोदी हां बिसवास।
छरक बैठ गइ एइसें,डारत फिररय घास।

🌹एम एल त्यागी खरगापुर🌹
[29/06, 2:16 PM] Subhash Singhai Jatara: शनिवार-29-6-24 अप्रतियोगिती दोहे
छरक (अरुचि, घृणा )

नेतन सैं सब गय छरक, तक लय उनकै ढंग |
गिरगिट जैसे रंग कै , देखत खूब प्रसंग ||

लोगन की पैचान में , तनिक हौत है देर |
पोल खुले पै हो छरक , कोउँ करत नँइँ हेर ||

मरका बैला हौ जितै , लोग छरक कै रात |
नाँय माँय सब देखकैं ,चुपके सैं कढ़ जात ||

दुष्टन सैं भी हौ छरक , कौन बिदेबै गट्ट |
तनिक बात पै आन कैं , पकरत कौचाँ चट्ट ||

रऔ छरक कैं सब जनै , देखौ जितै शराब |
जौ पीतइ है आन कै , उनके गलत हिसाब |

सुभाष सिंघई
[29/06, 5:19 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय -छरक
1-तुमें लगे कव लाबरी,
बिल्कुल साँची आय।
हमें बैठ गइ है छरक,
बरया करें बच पाय।
2-सुरज जाए अब जाल सें,
छरक लगी है मोय।
तुमइ कहो कैसों करें,
धक्क धक्क जी होय।
3- जैसी आफत है हमें,
वैरी खों ने होय।
बृजभूषण अब गय छरक,
जाल विदै दव मोय।।
4-खांय पियें परहेज को,
नइया तोइ सुदार।
लगी सुबीदे की छरक,
बने रात बीमार।।
5-नही छरक जौ लो लगी,
तो लो तुम बुलयात।
बृजभूषण लगवे पतो,
जब झटका लग जात।।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[29/06, 10:27 PM] Rajeev Namdeo: *

2 Likes · 1 Comment · 188 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
View all

You may also like these posts

* हिन्दी को ही *
* हिन्दी को ही *
surenderpal vaidya
सुबह की तलब की चाय तुम हो।
सुबह की तलब की चाय तुम हो।
Rj Anand Prajapati
भारत
भारत
Shashi Mahajan
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
Shweta Soni
तुम्हारा आना
तुम्हारा आना
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
क्यों उसको, निहारना छोड़े l
क्यों उसको, निहारना छोड़े l
अरविन्द व्यास
शान तिरंगा
शान तिरंगा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
10) पैगाम
10) पैगाम
नेहा शर्मा 'नेह'
शिव तेरा नाम
शिव तेरा नाम
Swami Ganganiya
शराब का सहारा कर लेंगे
शराब का सहारा कर लेंगे
शेखर सिंह
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
Sudhir srivastava
देह अधूरी रूह बिन, औ सरिता बिन नीर ।
देह अधूरी रूह बिन, औ सरिता बिन नीर ।
Arvind trivedi
सारा खेल पहचान का है
सारा खेल पहचान का है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
दिमाग
दिमाग
R D Jangra
*कविवर रमेश कुमार जैन*
*कविवर रमेश कुमार जैन*
Ravi Prakash
यादों की दहलीज
यादों की दहलीज
ओनिका सेतिया 'अनु '
4921.*पूर्णिका*
4921.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंजाम
अंजाम
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
दोस्ती
दोस्ती
Phool gufran
कुम्भकर्ण वध
कुम्भकर्ण वध
Jalaj Dwivedi
"खून का रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
Dr. Man Mohan Krishna
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
Rituraj shivem verma
कुछ असली कुछ नकली
कुछ असली कुछ नकली
Sanjay ' शून्य'
कौन करें
कौन करें
Kunal Kanth
माता अनुसूया
माता अनुसूया
मनोज कर्ण
"उसकी कैसी जगत-हंसाई?
*प्रणय प्रभात*
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...