Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 1 min read

तमन्ना

लिखूं अगर कोई कविता में, तो तुम कलम हो मेरी।
तुम्हारा ही जिक्र है ,हर कविता में मेरी।।
एक तमन्ना है इस जेहन में मेरे। की कभी मेरा भी जिक्र हो जेहन में तेरे।।
तेरे जिक्र में तो हमने लिख डालीं हैं हजारों कविताएं।
पर तूने तो चित् में भी ना डाला है हमें अपने।।
अधूरे से लगते है जिक्र यह तेरे । कुछ तो भुला बैठे हैं हम फिक्र में तेरे।।
तेरे नाम की तमन्ना को पहरे में बैठाया है हमने।
पर तमन्ना तो तमन्ना है पहरे में भी तमन्ना को उठाया है हमने।।
तमन्ना नहीं है यह मेरी, हर ज्रिक में रहूं मैं तेरी।
तमन्ना नहीं है यह मेरी, जेहन में ना रहूं मैं तेरी।।

Language: Hindi
2 Likes · 200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

" कइसन गाँव "
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी डायरी के पन्नों मे
मेरी डायरी के पन्नों मे
Saraswati Bajpai
Part2
Part2
Babiya khatoon
म
*प्रणय प्रभात*
दिल आज दुखी है,
दिल आज दुखी है,
रुपेश कुमार
शिक्षा
शिक्षा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कैसी प्रथा ..?
कैसी प्रथा ..?
पं अंजू पांडेय अश्रु
आदि शक्ति
आदि शक्ति
Chitra Bisht
उधार  ...
उधार ...
sushil sarna
पुरुष और स्त्री की एक अधूरी तलाश - राकेश यादव गोल्डी की कलम से
पुरुष और स्त्री की एक अधूरी तलाश - राकेश यादव गोल्डी की कलम से
Rakesh yadav goldi
अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती
अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती
Anis Shah
इश्क़ की भूल
इश्क़ की भूल
seema sharma
जीतेगा तू ही, खुद पर यह विश्वास रख,
जीतेगा तू ही, खुद पर यह विश्वास रख,
पूर्वार्थ देव
SleepZon: Your Ultimate Accommodation Booking Platform
SleepZon: Your Ultimate Accommodation Booking Platform
Sleep Zon
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आगाज़
आगाज़
Vivek saswat Shukla
*साठ-सत्तर के दशक में रामपुर में सिनेमाघर*
*साठ-सत्तर के दशक में रामपुर में सिनेमाघर*
Ravi Prakash
माँ
माँ
अनिल मिश्र
वंशबेल
वंशबेल
Shiva Awasthi
*धरा पर देवता*
*धरा पर देवता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
Ravi Betulwala
एक शख्स
एक शख्स
Pratibha Pandey
स्वर्ण पदक
स्वर्ण पदक
Sahil Ahmad
इश्क़ में न जाने कितने क़िरदार होते हैं,
इश्क़ में न जाने कितने क़िरदार होते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बावला
बावला
Ajay Mishra
मतळबी मिनखं
मतळबी मिनखं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
वृक्ष होते पक्षियों के घर
वृक्ष होते पक्षियों के घर
Indu Nandal
कशमकश
कशमकश
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
पूर्वार्थ
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...