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29 Jun 2024 · 1 min read

चाहतें मन में

गीतिका
~~
परीक्षा दे चुके लेकिन सुखद से फल मिलेंगे कब।
बहुत है चाहतें मन में सभी पूरी करेंगे कब।

गरजते मेघ हैं नभ पर मगर वर्षा नहीं करते।
सभी को है यही चिंता नदी नाले बहेंगे कब।

सभी के साथ चलने का नहीं है भाव आपस में।
बहुत जब खा चुके ठोकर बताओ तो जगेंगे कब।

समय तो रह नहीं पाता कभी भी एक जैसा है।
नये प्रिय रंग खुशियों के बताओ तो भरेंगे कब।

बिना कोशिश कभी फुर्सत भला किसको मिला करती।
बहुत गहरे जुदाई के गमों को भर सकेंगे कब।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य,२९/०६/२०२४

1 Like · 1 Comment · 125 Views
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