आजकल किन किन बातों का गम है
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
गंगा - यमुना को स्वच्छ और निर्मल करने की ,
लाठी के बूते केवल अस्थाई शांति लाई जा सकती है। सौहार्द्र व स
है बाकी मिलना लक्ष्य अभी तो नींद तुम्हे फिर आई क्यों ? दो कद
और बताओ क्या कर जाऊँ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
"फ़ुरक़त" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कभी बैठकर सोचते हैं,
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
हर किसी को कोई प्यार का दीवाना नहीं मिलता,
न ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियां की भीड़ में..
अब नहीं बजेगा ऐसा छठ का गीत
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
एक पल को न सुकून है दिल को।
जन्म दिया माँबाप ने, है उनका आभार।
प्रेम परिवर्तन के ओर ले जाता है, क्रोध प्रतिशोध के ओर, दोनों