जिंदगी वही जिया है जीता है,जिसको जिद्द है ,जिसमे जिंदादिली ह
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
कल शाम में बारिश हुई,थोड़ी ताप में कमी आई
ज़िन्दगी मत रुला हम चले जाएंगे
पिता जी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
*पौष शुक्ल तिथि द्वादशी, ऊॅंचा सबसे नाम (कुंडलिया)*
अब तो सब बोझिल सा लगता है
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बाप की "सियासत का ठेका" बेटा चलाएगा। मतलब बरसों से लाइन में