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27 Jun 2024 · 1 min read

मेरी जिंदगी, मेरी आरज़ू, मेरा जहां हो तुम,

मेरी जिंदगी, मेरी आरज़ू, मेरा जहां हो तुम,
कैसे बताऊं तुमको कि कहां कहां हो तुम।

तुमसे ही रात और दिन होते हैं मेरे,
मेरे लिए जमीन और आसमां हो तुम।

हमने तो की है मोहब्बत इबादत की तरह,
कोई मुझसे पूछे तो कह दूं कि मेरे खुदा हो तुम।

लेकिन इक बात का गम है कि क्यों
मुझसे आखिर खफा हो तुम।

लोग कहते हैं बहुत कुछ तेरे बारे में,
पर मैं ये कैसे मान लूं कि बेवफा हो तुम।

तुमको भूल भी जाऊं तो कैसे बोलो,
मेरे दिल से कहां जुदा हो तुम।

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