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27 Jun 2024 · 1 min read

दुश्मन कैसा भी रहे, अच्छा बुरा विचित्र

दुश्मन कैसा भी रहे, अच्छा बुरा विचित्र ।
मिलें न बस मुझको कभी,मुआ दोगला मित्र।।
रमेश शर्मा.

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