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25 Jun 2024 · 1 min read

सुनो, मैं सपने देख रहा हूँ

सुनो, मैं सपने देख रहा हूँ
जिन पर दृढ़ संकल्पित नहीं हूँ उनको देख रहा हूँ
मगर सपने नींदों में उलझे से,
इक माला के बिखरे मोती से,
उनमें खुद को घोल रहा हूँ खुद को घोल रहा हूँ
कवि ~सरकार

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