Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2024 · 5 min read

कब आयेंगे दिन

07 अप्रैल 2024 को दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के संवाद भवन में हिंदी साहित्य परिवार के स्थापना दिवस समारोह में सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी, शिक्षक कवि, गीतकार और ख्याति लब्ध मंच संचालक हरिनाथ शुक्ल ‘हरि’ जी सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश ने अपने गीतों का गुलदस्ता, अपनी प्रथम प्रकाशित कृति ‘कब आयेंगे दिन’ ससम्मान भेंट किया, जिसकी सुखद अनुभूति की चर्चा कर पाना संभव नहीं है। आभासी पटलों से व्यक्तिगत मुलाकात तक के सफर में जिस बात ने मुझे प्रभावित किया,वह है हरि जी का सरल, सहज व्यक्तित्व। हरि जी के बारे में अधिक कुछ कहना तर्क़ संगत नहीं लगता, क्योंकि इस बात का डर भी है कि मैं संग्रह के बारे में कुछ विचार रखने के बजाय उनकी तारीफ कर अधिक महिमा मंडित कर बैठा, ऐसा न परिलक्षित होने लगे। यूं तो हरि जी को आनलाइन पढ़ने सुनने का सौभाग्य आप सबकी तरह मुझे भी खूब मिला। लेकिन मुझे सीधे मंचों से भी यदा-कदा उन्हें सुनने, उनके सानिध्य, उपस्थिति, संचालन का लाभ व आनंद भी मिला है। मुझे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं है कि मां शारदे की उन पर बड़ी कृपा है। तभी तो सेना और बैंक की सेवा के बाद, शिक्षकीय दायित्वों के बीच एक संवेदनशील व्यक्तित्व के रूप में संजीदगी से अपने आप को सृजन यात्रा पर गतिशील, प्रगतिशील बनाये हुए हैं। अपने सहज स्वभाव एवं हर किसी को सम्मान देने के विशिष्ट भाव के कारण ही आभासी पटलों के साथ-साथ निरंतर विकसित होती मंचीय पहचान इनकी विशेषता बन रही है। स्मृति शेष माँ को सादर समर्पित, हरि जी का प्रथम गीत संग्रह “कब आयेंगे दिन” प्रकाशन, विमोचन के बाद से ही जितनी चर्चा में है, वैसा कम ही देखने को मिलता है। इसका कारण मेरे हिसाब से आपके शुभचिंतकों और आपसे ही नहीं आपकी लेखनी से प्यार करने वालों की फेहरिस्त का लंबी होना है। जिसका उदाहरण श्रेष्ठ साहित्यकारों की समीक्षात्मक टिप्पणियों एवं शुभकामना संदेशों से मिलता है। इस कड़ी का शुभारंभ वरिष्ठ कवि, छंदाचार्य, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से राष्ट्रीय कीर्तिमान धारक, गुरुदेव ओम नीरव जी द्वारा विस्तृत “पुरोवाक: कब आयेंगे दिन”, से होकर वरिष्ठ कवि/साहित्यिक मनीषी आ. नरेन्द्र शर्मा ‘नरेंद्र’ जी की सविस्तार वर्णित “विविध साहित्यिक रंगो- सुगंधों से युक्त पुष्प गुच्छ – कब आयेंगे दिन” से होते हुए मैक्समूलर अवार्ड से सम्मानित, अंतरराष्ट्रीय कवि आदरणीय श्रेष्ठ पंडित सुरेश नीरव जी के विचारों “समय सापेक्ष संवेदनाओं का कवि” और शुभाशंसा, शुभकामना संदेश में शामिल वरिष्ठ कवियों, साहित्यिक विभूतियों यथा महाकवि विनोद शंकर शुक्ल ‘विनोद’, आ. राम किशोर तिवारी, डॉ. कामता नाथ सिंह, डॉ. व्यास मणि त्रिपाठी, आ. विजय शंकर मिश्र ‘भाष्कर’, साहित्य भूषण डा. सुशील कुमार पांडेय ‘साहित्येंदु’, डॉ रत्नेश्वर सिंह, डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’, आ. नरेंद्र प्रसाद शुक्ल, आ. सोहनलाल शर्मा ‘प्रेम’, आ. भूदत्त शर्मा आदि की विशद टिप्पणियों तक जाता है। प्रस्तुत गीत संग्रह में कुल 50 गीत प्रकाशित हैं।जहाँ श्री गणेश वंदना में आपकी पंक्तियां हैं, हे विघ्नेश्वर! हे गणनायक!हे लंबोदर! प्रभो विनायक!सकल रिद्धि सिद्धिन के दाता!गणाधिपति! हे भाग्य विधाता!! वहीं वाणी वंदना करते हुए हरि जी माँ शारदे से विनय करते हुए अपने मन के भावों को शब्द देते हुए लिखते हैं-हंस वाहिनी आकर मेरा तन मन रोशन कर जाओ।कल्मष तमस भेद कर माता जगमग जीवन कर जाओ।। सद्गुरु का महत्व रेखांकित करते हुए हरि जी लिखते हैं-जै गुरुदेव, दया प्रभु कीजै,चरणामृत शरणागत दीजै,सुखद शुभद गुरुपद ‘हरि’ पाया ।।गुरुवर ….. “राम आयेंगे कैसे” पर आपकी पंक्तियां जन सामान्य को सचेत करती हुई प्रतीत होती हैं-जब तलक मन का रावण है मद में सुनो!राम आयेंगे कैसे अवध में, सुनो!! बेटियों की महत्ता को रेखांकित करते हुए हरि जी की पंक्तियां स्वयं ही बोलती प्रतीत होती हैं-त्याग- अनुराग ही इनकी थाती रही,स्नेह- ममता सदा ही लुटाती रही।हैं पुरुष कब उऋण इनके उपकार से,ये हैं बलिदान की जागती मूर्तियां।। शिव आराधना करते हुए आप लिखते हैं-हे अनादि! त्रिपुरारि! जटाधारी! शिव शंकर!आन विराजो मन में मेरे, प्रभो महेश्वर!! “होना है शहीद” में देशप्रेम से ओत-प्रोत आपकी पंक्तियां सिहरन पैदा करती हैं-बनना आजाद भगत सिंह, वीर हमीद माँ मुझे,इस देश की खातिर होना है शहीद माँ मुझे।। इसी तरह ‘शिक्षक अलख जगाता है’, ‘मरते दम तक विजेता रहे नेताजी,’ ‘धरा यह प्रलय के मुहाने खड़ी है’, ‘जाने क्या बात थी श्याम में,’ प्रेम रसिकों के रस खान में, प्रेम की मैं गली में गया था कभी, तन दहकने लगा, मन बहकने लगा, जीवन कब आया, यह जीवन बीत गया, मतदान करो, गंगा मैया, नव वर्ष! तुम्हारा स्वागत है, मन बंजारा से होते हुए गुरु का जन्म दिन, कोविड में रेहड़ी पटरी का दर्द, दुआएं, चरैवेति, आत्मघात! आखिर क्यों???, पिया जन्मदिन सावन में, मां का स्थान, भातृत्व, फेसबुक वाले, जाँबाज सैनिक, गणतंत्र दिवस, छाते की व्यथा, मानवाधिकार: कुछ प्रश्न, अटल-अटल, वैलेंटाइन, आखिर क्यों?, लक्ष्य, मुख्य विकास अधिकारी, ज्योतिर्मयी मां, बेटा गरीब का, होली गीत: देश प्रेम, आस्था के दीप, जलाओ दिए, मित्र और अंतिम रचना ‘अद्भुत राष्ट्रप्रेम’ आदि को पढ़ते हुए आश्चर्य भी होता है कि, एक संग्रह, वह भी गीतों के संग्रह में इतने विषयों पर रचनाएं! सामान्यतया ऐसा कम ही देखने को मिलता है। जो यह बताने के लिए काफ़ी है कि, हरि जी का दृष्टिकोण कितना पैना है। जीवन के विविध वैयक्तिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय विषयों सहित बहुआयामी सृजन से सुसज्जित सुंदर और सारगर्भित रचनाओं का यह रमणीय काव्य संग्रह अपने आप में पाठकों के हृदय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम है, जिसे कलमकार की सफलता से जोड़ कर देखा जाना न्यायोचित होगा। हरि जी ने अपनी बात में बाबा तुलसीदास जी की इन पंक्तियों “कवित विवेक एक नहीं मोरे, सत्य कहउं लिखि कागद कोरे’ के माध्यम से अपने को अज्ञानी होने की बात कहकर अपने सरल, सहज व्यक्तित्व का उदाहरण पेश किया है। अभिराम प्रकाशन से प्रकाशित 112 पृष्ठीय गीत संग्रह “कब आयेंगे दिन” का मूल्य महज ₹200/- है। जिसे संग्रह की पठनीय सामग्री के सापेक्ष नगण्य ही कहा जाएगा। आकर्षक, मोहक मुखपृष्ठ के साथ आखिरी कवर पेज पर रचनाकार का परिचय मुद्रित है। अंत में इस विश्वास के साथ कि आने वाले दिनों में आपके अन्यान्य संग्रह पाठकों के बीच आते रहेंगे, मैं प्रस्तुत गीत संग्रह “कब आयेंगे दिन” के निमित्त आ. “हरि” जी को असीम बधाइयां एवं शुभकामनाएं देता हूँ। साथ ही उनके सफल व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और साहित्यिक जीवन की कामना करता हूँ।समीक्षक:सुधीर श्रीवास्तवगोण्डा, उत्तर प्रदेश

91 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

महाभारत का युद्ध
महाभारत का युद्ध
SURYA PRAKASH SHARMA
भाग्य ने पूछा हज़ारों बार,मैं तुम्हारा नाम ले पाया नहीं !
भाग्य ने पूछा हज़ारों बार,मैं तुम्हारा नाम ले पाया नहीं !
पूर्वार्थ
Shayari
Shayari
Sahil Ahmad
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
वक़्त के वो निशाँ है
वक़्त के वो निशाँ है
Atul "Krishn"
एक गीत तुमको लिखा
एक गीत तुमको लिखा
Praveen Bhardwaj
मुक्तक
मुक्तक
Vandana Namdev
वेदना
वेदना
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बदरिया जान मारे ननदी
बदरिया जान मारे ननदी
आकाश महेशपुरी
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
दोहा पंचक. . . . सूक्ष्म
दोहा पंचक. . . . सूक्ष्म
sushil sarna
सावन
सावन
Bodhisatva kastooriya
पास फिर भी
पास फिर भी
Dr fauzia Naseem shad
।।समय का सदुपयोग
।।समय का सदुपयोग
।।"प्रकाश" पंकज।।
अहसास प्यार का।
अहसास प्यार का।
Rekha khichi
*महाराजा अग्रसेन को भगवान अग्रसेन क्यों न कहें ?*
*महाराजा अग्रसेन को भगवान अग्रसेन क्यों न कहें ?*
Ravi Prakash
*आत्मा गवाही देती है*
*आत्मा गवाही देती है*
Ghanshyam Poddar
मेहनत
मेहनत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐💞💐
💐💞💐
शेखर सिंह
मेमोरियल के लिए ज़मीन।
मेमोरियल के लिए ज़मीन।
Kumar Kalhans
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कसूरवान
कसूरवान
Sakhi
अश्क़ आँखों  तक आ गये तो इन्हें बहने दो।
अश्क़ आँखों तक आ गये तो इन्हें बहने दो।
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
दीपक बवेजा सरल
सत्य राम कहॉं से लाऊँ?
सत्य राम कहॉं से लाऊँ?
Pratibha Pandey
रो रही है मॉं
रो रही है मॉं
SATPAL CHAUHAN
ज़िंदगी  है  गीत  इसको  गुनगुनाना चाहिए
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
Dr Archana Gupta
परछाई (कविता)
परछाई (कविता)
Indu Singh
Justice Delayed!
Justice Delayed!
Divakriti
Loading...