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22 Jun 2024 · 1 min read

दोहा पंचक . . . .

दोहा पंचक . . . .

सुधि कलश सदा रहा, जीवित बीता काल।
सुधियों का हर पृष्ठ है, बीते कल का भाल।।

सुधियों का हर पृष्ठ है, बीते कल का भाल।
किसने जानी आज तक, कभी काल की चाल।।

किसने जानी आज तक, कभी काल की चाल।
क्षण -क्षण के हर अंश में, भूषित सदा त्रिकाल।।

क्षण – क्षण के हर अंश में, भूषित सदा त्रिकाल ।
इसके वश में जिंदगी, इसकी कृपा विशाल ।।।

इसके वश में जिंदगी, इसकी कृपा विशाल ।
वही प्रिये उस ईश को, मन से फेरे माल ।।

सुशील सरना/22-6-24

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