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21 Jun 2024 · 1 min read

आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है

दिन दिनांक : शुक्रवार, २१ जून-२०२४
विद्या : ग़ज़ल
बह्र : बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
अरकान :फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मात्रा भार : 122 122 122 122
उन्वान : आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
***

आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है,
कानों में सदायें सुनाई देती है !

लबों से भले ना कहे कुछ वो यारो,
निगाहें तो उसकी जताई देती है !

छुपाने में माहिर है लगती बड़ी वो,
अदाओं से अपनी छुपाई देती है !

वैसे तो लगाती है बंदिश बहुत सी,
शरारत करे तो ढिलाई देती है !

मुहब्बत की शिद्द्त से यारों बड़े ही,
पूछे जो ‘धरम’ तो सफाई देती है !!
***
स्वरचित : डी के निवातिया

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