सब कूछ ही अपना दाँव पर लगा के रख दिया
उसकी आंखों में मैंने मोहब्बत देखी है,
*आया जाने कौन-सा, लेकर नाम बुखार (कुंडलिया)*
लक्ष्य पाना नामुमकिन नहीं
दुनिया के सब रहस्यों के पार है पिता
ख़ुद रंग सा है यूं मिजाज़ मेरा,
मुझे साहित्य का ज्यादा ज्ञान नहीं है। न ही साहित्य मेरा विषय
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
तारीख देखा तो ये साल भी खत्म होने जा रहा। कुछ समय बैठा और गय
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)