हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
प्राण प्रतीस्था..........
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
राम नाम हिय राख के, लायें मन विश्वास।
Vijay kumar Pandey 'Pyasa'
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
संपूर्ण राममय हुआ देश मन हर्षित भाव विभोर हुआ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"