उधड़ता दिखते ही तुरंत सिलवा लीजिए। फिर चाहे वो जूता हो, कपड़ा
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
असफलता का घोर अन्धकार,
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
*हम अनुरागी अंतर्मन से, हिंदी की मीठी बोली के (राधेश्यामी छं
नारी-शक्ति के प्रतीक हैं दुर्गा के नौ रूप
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
भजन -आया श्याम बुलावा- अरविंद भारद्वाज
कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
गांव और वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम्हें यह याद रखना होगा कि तुम कौन हो और क्या बनने का निर्ण
आज भी अपमानित होती द्रौपदी।
सजनी तेरी बात चली तो धूप चांदनी बन मुसकाई।