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15 Jun 2024 · 1 min read

जीवन का मूल्य

जीवन का मूल्य

रे मन
तुझे सूर्य बनना है तो बन
जो ज़िंदा है अपने ही दम से
जिसके जीवन से पृथ्वी पर जीवन है
जिसके प्रकाश से चाँद प्रकाशित है
पर मन
उसकी कथा मात्र इतनी नहीं है
वह अपनी आग से बहुत अकेला हो गया है
सब कुछ जल जाता है
करोड़ों मीलों की दूरी से
और वह
न जाने कब से
जल रहा है
निरंतर
अपनी ही आग में ।

शशि महाजन-लेखिका

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