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11 Jun 2024 · 1 min read

कितने लोग मिले थे, कितने बिछड़ गए ,

कितने लोग मिले थे, कितने बिछड़ गए ,
जीवन की राहों पर , कितने रगड़ गए ।
नन्हे – नन्हे पौधे भी बड़े हुए जब जब ,
आँधी में टूटी जड़ , कितने उखड़ गए ।
✍️नील रूहानी..

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