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10 Jun 2024 · 1 min read

मूर्खता

मूर्खता (अमृतध्वनि छंद)

जब जब मूर्ख बहस करे,अनायास बकवास।
मुँह तोड़ों उस पतित का,करो सदा उपहास।।
करो सदा उपहास,बात मत,
उससे करना।
उस मरियल से,अति बुजदिल से,दूरी रखना।।
यदि आता है,वह मिलने को,त्याग उसे तब।
घास न डालो,मुँह बिचकाओ,वह आये जब।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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