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7 Jun 2024 · 1 min read

वर्ण पिरामिड

वर्ण पिरामिड

हो
सदा
अनेक
सिर्फ तुम
हृदय बसो
प्रेम कर हँसो
प्रिय डोर से कसो।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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