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4 Jun 2024 · 1 min read

आइये - ज़रा कल की बात करें

आइये – ज़रा कल की बात करें

वो कल जो कल गुजर गया
या वो कल जो कल आएगा ?

कुछ वाक़िये आज भी
कल की याद दिलाते हैं

वो कल का जख़्म – जो आज
नासूर है वो कल भी
होगा पट्टियों का मोहताज

हाँ – अब कल किसी का
इंतज़ार नहीं होगा
कल का गुजारा
कल ही गुजर गया

. . . . . . . अतुल “कृष्ण”

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