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30 May 2024 · 1 min read

हम दुख को भा गये ...

नींद कुछ रूठी थी ,
हसरतें भी टूटी थी
अंधेरे कुछ रोशन हुए
खुद लोरी सुना गये …

जिस पल हौसला रखा
तूफाँ भी हद मे आ गये
सोच को विस्तार दिया
तारे सरहद में आ गये ..

कुछ फरिश्ते राह में
जुगनु बिखरा गये पर
साथ छोडा ही नहीं
हम दुख को भा गये …

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