Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2024 · 2 min read

‘निशात’ बाग का सेव (लघुकथा)

हमारी जिंदगी का एक यादगार लम्हा था। कश्मीर के “निशात बाग का सेव”।
ये कहानी सन् 1982 ई० की है। उस समय आज की तरह कश्मीर का माहौल खराब नहीं था। सब कुछ बहुत अच्छा था। हम सब बेखौफ हर जगह आ जा सकते थे। सच में हमने “धरती के स्वर्ग” कहा जाने वाले कश्मीर को देखा है। यह सत्य है कि प्रकृति ने कश्मीर को दिल खोलकर सुन्दरता प्रदान किया है। लोग ठीक ही कहते हैं कि कश्मीर धरती का स्वर्ग है। उस समय मैं अपने पति के साथ लाल चौक के पास ही जवाहर नगर में रहती थी। हम सभी हर रविवार को किसी न किसी बाग में घूमने जरुर जाते थे। जैसे शालीमार, निशात, चश्मे साही, शंकराचार्य मंदिर, पहलगांव, गुलमार्ग आदि। हमारे घर से लाल चौक जाने के रास्ते में झेलम नदी थी जिसे शिकारा से पार करने के लिए उस समय सिर्फ 30 पैसे लगते थे। हमारे घर से टूरिस्ट सेंटर जाने के लिए मेटाडोर से 50 पैसे तथा निशात बाग के लिए मात्र 1 रूपया किराया था।

एक दिन हम दो परिवार मिलकर निशात बाग घूमने के लिए गए। हमने वहाँ पहली बार सेव के पेड़ और पेड़ों पर लगे सेव देखे थे। मेरी सहेली उन दिनों गर्भवती थी और ये उनका पहला बच्चा होने वाला था। पेड़ पर कच्चे सेव देखकर उनका मन कच्चा सेव खाने को किया। इसी खुशी में हम दोनों औरतों ने एक-एक कच्चे सेव तोड़ लिए। तभी माली आकर चिल्लाने लगा और बोला कि यहां पर इस बाग से सेव तोड़ना मना है। आप लोगों को इन दोनों सेव तोड़ने के लिए जुर्माना देना होगा। हमारे पति हम लोगों के उपर बहुत नाराज हुए और माली से पूछे कितना जुर्माना हुआ। माली बोला साहब एक सेव का 100 रुपया। यानी दो सेव का 200 रुपये। 200 रुपये 1982 ई० में बहुत होते थे। उन दिनों श्रीनगर में सेव दो रुपया किलो बिक रहा था। माली को हमारे पति बोले हम लोग फौजी हैं और हम मानते हैं कि यहां सेव तोड़ना गलत है, हमसे गलती हुई है। तुम इस सेव की कीमत ले लो। 100 रुपए एक कच्चे सेव के लिए तो अनुचित है। बहुत समझाने पर भी माली नहीं माना और लड़ाई-झगड़े पर उतर आया। तब के समय में हमें उस दो सेव के लिए 200 रुपये देने ही पड़े थे। उस लम्हे को हम सब आज तक नहीं भूले हैं। जब भी कश्मीर की या सेव की बात चलती है
तो हमें वो लम्हे याद आ जाते हैं और हम
सब उन लम्हों को याद करके हँसने लगते हैं।
जय हिंद

Language: Hindi
1 Like · 182 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

इक झलक देखी थी हमने वो अदा कुछ और है ।
इक झलक देखी थी हमने वो अदा कुछ और है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
Phool gufran
भगवान की पूजा करने से
भगवान की पूजा करने से
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सहज गैर के पास
सहज गैर के पास
RAMESH SHARMA
सिखी शान और कुर्बानी की, अनुपम गाथा गाता हूं।
सिखी शान और कुर्बानी की, अनुपम गाथा गाता हूं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बाद के लिए कुछ भी मत छोड़ो
बाद के लिए कुछ भी मत छोड़ो
पूर्वार्थ
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
Bidyadhar Mantry
कर्मों का फल
कर्मों का फल
Ram Krishan Rastogi
रुहानियत और इंसानियत संग संग(पंजाबी में) 18)
रुहानियत और इंसानियत संग संग(पंजाबी में) 18)
Mangu singh
कविता
कविता
Mahendra Narayan
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
Shweta Soni
*
*"बसंत पंचमी"*
Shashi kala vyas
तुमने मुड़ कर ही बस नहीं देखा।
तुमने मुड़ कर ही बस नहीं देखा।
Dr fauzia Naseem shad
अच्छा नहीं लगा
अच्छा नहीं लगा
विक्रम कुमार
तू मौजूद है
तू मौजूद है
sheema anmol
Raising a child
Raising a child
Shashi Mahajan
4949.*पूर्णिका*
4949.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य की खोज, कविता
सत्य की खोज, कविता
Mohan Pandey
जिस देश में कन्या पूजा की जाती हो उस देश में बेटी बचाओ योजना
जिस देश में कन्या पूजा की जाती हो उस देश में बेटी बचाओ योजना
Ranjeet kumar patre
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
VEDANTA PATEL
जलन
जलन
Rambali Mishra
बदनसीब डायरी
बदनसीब डायरी
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छा कार्य करने वाला
अच्छा कार्य करने वाला
नेताम आर सी
उत्तराखंड के बाद अब दहकने लगे दुनियां के फेफड़े
उत्तराखंड के बाद अब दहकने लगे दुनियां के फेफड़े
Rakshita Bora
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
अश्विनी (विप्र)
हरियाणवी
हरियाणवी
Ashwani Kumar Jaiswal
मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा
मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय प्रभात*
मुक्तक
मुक्तक
Yogmaya Sharma
Loading...