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29 May 2024 · 1 min read

अपना अपना सच

अपना अपना सच

दूर अंधेरा फैला योजन तक
रोतें हुए बच्चें का स्वर,
चीखने की आवाज़ें
चीरते हुए सन्नाटे
आ जाता है एक भयानक हसीं
का स्वर,
अन्धकार इतना गहरा,
लील लेता सारे उजालों को
मायूसी फैली चहूँ और
सिर्फ़ और सिर्फ़ रुदन
आत्मा को उद्वेलित करते कुछ शब्द
नहीं नहीं ठहरों नहीं
भाग जाओ, वहाँ ना जाओ
पैरों के निशा
सूंघता सर्प आ जाता पास
लपेट लेता अपने ही चंगुल में
लहू लूहान विक्षिप्त मेरा दर्द
ज़ोर ज़ोर से चीत्कार ,
सिर्फ़ जमा हुआ बदबूदार लहू
आख़िर हारता हुआ संघर्ष
ख़त्म हुआ द्वन्द,
कोई प्रश्न नहीं ,
कोई कातरता नहीं,
सिर्फ़ और सिर्फ़ मौन
जो सन्नाटों को चीरता हुआ बिंध जाता मेरे हृदय में,
अंतस् करुणा वेदना विद्यमान
समझ ना आए कोई निदान
बैठे बनकर सब विद्वान।।

डॉ अर्चना मिश्रा

Language: Hindi
94 Views
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