दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मर्यादागिरी से दादागिरी
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (हास्य कुंडलिया)
रावण तो अब भी ज़िन्दा है !
*शून्य का शून्य मै वीलीन हो जाना ही सत है *
'सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरी
मिथिलाक सांस्कृतिक परम्परा
सभी को 2025 की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,